प्रशांत किशोर की यात्रा एक चुनावी रणनीतिकार से बिहार की नई राजनीतिक सोच के प्रतीक तक की रही है। चुनावी राजनीति में अपने करियर की शुरुआत करने के बाद, आज वे बिहार में बदलाव की आवाज़ बन गए हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी के चुनावी अभियान में रणनीतिक भूमिका निभाने के बाद, उन्होंने खुद को विपक्षी दलों के साथ जोड़ा, जिसके कारण दक्षिणपंथी विचारधारा के आलोचकों का शिकार बने। वहीं, कांग्रेस से उनके जटिल रिश्तों ने उदारवादी समर्थकों को भी चिंता में डाला।
किशोर की रणनीति हमेशा “4Ms” (चेहरा, संदेश, कैडर, और अभियान) पर आधारित रही है। मोदी के साथ काम करने के बाद, उन्होंने बिहार में अपनी पार्टी ‘जन सुराज’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य जातिवाद से परे विकास-आधारित राजनीति को बढ़ावा देना है। उनके इस मिशन का सबसे बड़ा हिस्सा था ‘पदयात्रा’, जिसके जरिए उन्होंने बिहार के शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर लोगों से संवाद किया।
पारदर्शी और समावेशी शासन
किशोर की राजनीति जातिवाद और विभाजन से हटकर पारदर्शी और समावेशी शासन की दिशा में अग्रसर है। हालांकि, बिहार की पारंपरिक राजनीति से हटकर यह नया दृष्टिकोण अपनाना आसान नहीं है, फिर भी राज्य के युवा और बदलाव की उम्मीद रखने वाले लोग इस नए प्रयोग का समर्थन कर रहे हैं। यदि यह प्रयास सफल होता है, तो यह बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है, और किशोर को एक नई राजनीतिक दिशा देने में सक्षम साबित हो सकता है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार
बिहार में ‘पदयात्रा’ के जरिए उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर काम करने का संकल्प लिया है।
किशोर की पार्टी बिहार में जातिगत ध्रुवीकरण के बजाय पारदर्शी और प्रभावी शासन का मॉडल प्रस्तुत कर रही है। उनकी इस नई राजनीतिक दिशा को समर्थन मिलना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन पारंपरिक राजनीति से निराश युवा और बदलाव चाहने वाले लोग इस मिशन का समर्थन कर रहे हैं। उनके इस प्रयास की सफलता से बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ सकता है।
बिहार की नई राजनीतिक सोच
प्रशांत किशोर ने अपनी यात्रा एक चुनावी रणनीतिकार के रूप में शुरू की थी, लेकिन आज वे बिहार में राजनीतिक बदलाव की आवाज़ बन गए हैं। बीजेपी से अलग होकर विपक्षी दलों के साथ काम करने पर उन्हें दक्षिणपंथियों की आलोचना झेलनी पड़ी, जबकि कांग्रेस के प्रति उनके जटिल रिश्ते ने उदारवादियों को भी चिंतित किया।
2014 में मोदी के अभियान में रणनीति तैयार करने से लेकर अब तक, किशोर का दृष्टिकोण 4Ms (चेहरा, संदेश, कैडर, और अभियान) पर आधारित रहा है। लोकप्रिय चेहरों के जरिए जनाधार बढ़ाने के बाद, उन्होंने जन सुराज पार्टी की स्थापना की, जो जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर विकास-आधारित राजनीति की पैरवी करती है।
प्रशांत किशोर ने अपनी राजनीतिक यात्रा एक चुनावी रणनीतिकार के रूप में शुरू की थी, लेकिन आज वे एक नये राजनीतिक विचारधारा के प्रतिनिधि बन गए हैं।
प्रशांत किशोर की छवि राजनीतिक हलकों में मिश्रित है। वह बीजेपी से अलग होकर विपक्ष के साथ काम करने पर दक्षिणपंथियों के निशाने पर हैं, जबकि कांग्रेस के प्रति उनके जटिल रिश्ते के कारण उदारवादी भी उन्हें संदेह की नजर से देखते हैं। किशोर का राजनीतिक सफर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में शुरू हुआ, फिर 2014 में मोदी के चुनाव अभियान में प्रमुख भूमिका निभाई। उनकी चुनावी रणनीति मुख्य रूप से चेहरे, संदेश, कैडर और अभियान (4Ms) पर आधारित है। किशोर हमेशा एक लोकप्रिय चेहरा चुनते हैं, जिनका जनाधार हो, और उसी को अभियान का केंद्र बिंदु बनाते हैं।
पारदर्शी और प्रभावी शासन
उनकी पार्टी, जन सुराज पार्टी, का उद्देश्य बिहार की राजनीति में सकारात्मक बदलाव लाना है। किशोर का मानना है कि बिहार को जातिगत राजनीति से ऊपर उठाकर विकास-आधारित राजनीति की ओर ले जाने की आवश्यकता है।
किशोर की रणनीति बिहार के ग्रामीण इलाकों में सक्रिय जनसंपर्क और क्षेत्रीय समस्याओं की गहरी समझ पर आधारित है। उन्होंने बिहार में ‘पदयात्रा’ के माध्यम से जनता की समस्याओं को समझने का प्रयास किया और यह महसूस किया कि बिहार को शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
वे मानते हैं कि बिहार की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में आरजेडी और जेडीयू जैसी पार्टियाँ जातिगत समीकरणों का सहारा लेकर सत्ता हासिल करती हैं, लेकिन यह पद्धति बिहार के विकास को स्थायी नुकसान पहुंचा रही है। जन सुराज पार्टी का दृष्टिकोण इन पारंपरिक समीकरणों से हटकर बिहार के समग्र विकास की ओर केंद्रित है। किशोर बिहार की जनता के समक्ष एक विकल्प प्रस्तुत करना चाहते हैं, जहाँ जातिगत राजनीति के बजाय सशक्त, पारदर्शी, और प्रभावी शासन हो।प्रशांत किशोर के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक नई विचारधारा स्थापित करें जो जातिगत ध्रुवीकरण से दूर हो। उनके इस मिशन में बिहार की जनता का समर्थन पाना आसान नहीं है क्योंकि बिहार की राजनीति में जाति एक प्रमुख भूमिका निभाती रही है।
हालांकि, किशोर की पार्टी का स्पष्ट दृष्टिकोण और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने का प्रयास उन्हें अन्य दलों से अलग बनाता है। जन सुराज पार्टी के माध्यम से वे बिहार के लिए एक नई उम्मीद का संदेश दे रहे हैं। उनके इस आंदोलन में युवाओं और उन लोगों का सहयोग मिल रहा है जो पारंपरिक राजनीति से निराश हैं और बदलाव की आकांक्षा रखते हैं।प्रशांत किशोर का जन सुराज पार्टी के माध्यम से बिहार को बदलने का यह प्रयास आने वाले समय में क्या प्रभाव लाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा। उनके इस संघर्ष में सफलता मिलती है या नहीं, यह बिहार की राजनीतिक दिशा तय करेगा।