प्रशांत किशोर के बारे में रोचक तथ्य
प्रशांत किशोर का जन्म 20 मार्च 1977 को बिहार के बक्सर जिले में हुआ।
वे भारतीय राजनीति में एक प्रसिद्ध रणनीतिकार और चुनावी प्रबंधक हैं।
उन्हें आमतौर पर “पीके” के नाम से जाना जाता है।
प्रशांत किशोर का पारिवारिक बैकग्राउंड डॉक्टर और शिक्षक से जुड़ा हुआ है।
पीके ने अपनी पढ़ाई के बाद संयुक्त राष्ट्र (UN) के लिए काम किया।
वे सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में अफ्रीका और एशिया के कई देशों में कार्यरत रहे।
उन्होंने 2011 में भारत लौटने का निर्णय लिया।
प्रशांत किशोर ने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए कैंपेन तैयार किया।
मोदी की “चाय पर चर्चा” और “3डी रैली” जैसे कैंपेन प्रशांत किशोर के आइडिया थे।
उन्होंने 2014 में Citizens for Accountable Governance (CAG) की स्थापना की।
बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में, उन्होंने नीतीश कुमार के लिए “महागठबंधन” की रणनीति बनाई।
2017 में, उन्होंने पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह की मदद की।
इस दौरान, उनका कैम्पेन स्लोगन था: “हर घर कैप्टन”।
2019 के लोकसभा चुनाव में, उन्होंने वाईएस जगन मोहन रेड्डी के लिए काम किया।
उनकी टीम I-PAC (Indian Political Action Committee) के नाम से जानी जाती है।
प्रशांत किशोर की रणनीतियों में तकनीक और ग्राउंड लेवल पर कनेक्ट का मेल होता है।
प्रशांत किशोर ने “दीदी के बोलो” अभियान की शुरुआत की।
उन्होंने अरविंद केजरीवाल की AAP के लिए दिल्ली चुनाव 2020 की योजना बनाई।
उन्होंने राहुल गांधी को कांग्रेस में संगठनात्मक सुधार का सुझाव दिया।
वे राजनीति में केवल चुनाव जीतने से अधिक, दीर्घकालिक परिवर्तन के पक्षधर हैं।
प्रशांत किशोर ने “पद यात्रा” के माध्यम से जनसंपर्क का एक अनूठा मॉडल तैयार किया।
उनकी पद यात्रा बिहार के हर गांव और जिले में पहुंचने का प्रयास है।
2022 में, उन्होंने “जन सुराज अभियान” की शुरुआत की।
उन्होंने सबसे पहले भारतीय राजनीति में डेटा और एनालिटिक्स का उपयोग किया।
उनकी रणनीति में युवाओं और महिलाओं को विशेष रूप से जोड़ने पर जोर रहता है।
2022 में, उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का प्रस्ताव ठुकरा दिया।
वे अक्सर कहते हैं, “चुनावी जीत से ज्यादा जरूरी है नीति सुधार।”
प्रशांत किशोर को “किंगमेकर” के रूप में भी जाना जाता है।
प्रशांत किशोर के I-PAC की टीम में देशभर से युवा प्रोफेशनल्स शामिल होते हैं।
उन्होंने JDU के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद केवल 1 साल में छोड़ दिया।
उनकी “जन सुराज” पदयात्रा 3,500 किलोमीटर से अधिक है।
वे मानते हैं कि बिहार की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार सबसे जरूरी है।
प्रशांत किशोर के कैंपेन हमेशा लोकल मुद्दों पर आधारित होते हैं।
वे व्यक्तिगत रूप से लोगों से मिलने और उनकी समस्याओं को समझने पर जोर देते हैं।
2016 में, उन्होंने “बात बिहार की” नामक अभियान शुरू किया था।
प्रशांत किशोर का मानना है कि युवाओं को राजनीति में आना चाहिए।
प्रशांत किशोर, भारतीय राजनीति के जाने-माने रणनीतिकार, ने चुनावी अभियानों में एक नई परिभाषा गढ़ी है। 20 मार्च 1977 को बिहार के रोहतास जिले में जन्मे किशोर ने अपनी शुरुआती शिक्षा बक्सर जिले में पूरी की। आठ साल तक संयुक्त राष्ट्र (UNO) में काम करने के बाद, उन्होंने भारत लौटकर राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा और अपनी अनूठी रणनीतियों से कई राजनीतिक दलों को सफलता दिलाई।
परिवार और प्रारंभिक जीवन
प्रशांत किशोर का परिवार साधारण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखता है। राजनीति से पहले, उनका जीवन पूरी तरह से संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अभियानों और समाजसेवा पर केंद्रित था।
चुनावी रणनीतिकार के रूप में उभरना
2014: नरेंद्र मोदी और CAG की शुरुआत
किशोर ने 2013 में Citizens for Accountable Governance (CAG) की स्थापना की। यह मीडिया और प्रचार कंपनी 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के अभि
चाय पर चर्चा’ से लेकर ‘मोदी लहर’ तक
इनोवेटिव कैंपेन: “चाय पर चर्चा,” 3डी रैलियां, “रन फॉर यूनिटी,” और सोशल मीडिया कैंपेन किशोर के दिमाग की उपज थीं।
परिणाम: बीजेपी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की।
2015: बिहार विधानसभा चुनाव और I-PAC का गठन
किशोर ने इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) की स्थापना की और बिहार में नीतीश कुमार के लिए चुनावी रणनीति तैयार की।
“नीतीश के निश्चय” अभियान: यह कैंपेन सात वादों के इर्द-गिर्द था, जिसने नीतीश कुमार की लोकप्रियता बढ़ाई।
परिणाम: नीतीश कुमार ने भारी जीत दर्ज की।
पंजाब और उत्तर प्रदेश में रणनीति
2017: पंजाब में कांग्रेस की वापसी
दो बार विधानसभा चुनाव हार चुकी कांग्रेस ने प्रशांत किशोर की मदद से 2017 में सत्ता में वापसी की।
रणनीति: जमीनी स्तर पर जुड़ाव और मुद्दा-आधारित प्रचार।
परिणाम: कांग्रेस ने निर्णायक बहुमत से जीत दर्ज की।
2017: उत्तर प्रदेश में असफलता
यूपी चुनावों में किशोर की रणनीति कांग्रेस के लिए असरदार साबित नहीं हुई।
आंध्र प्रदेश और दिल्ली में सफलता
2019: वाईएसआरसीपी की शानदार जीत
वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने प्रशांत किशोर को अपना सलाहकार नियुक्त किया।
रणनीति: मतदाताओं से जुड़ाव और चरणबद्ध चुनावी प्रचार।
परिणाम: वाईएसआरसीपी ने 175 में से 151 सीटें जीतीं।
2020: दिल्ली विधानसभा चुनाव
आम आदमी पार्टी ने किशोर को रणनीतिकार बनाया।
परिणाम: पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखी।
पश्चिम बंगाल में ऐतिहासिक जीत
2021: तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के आक्रामक अभियान के बावजूद प्रशांत किशोर की रणनीतियों ने ममता बनर्जी को शानदार जीत दिलाई।
परिणाम: टीएमसी ने 294 में से 213 सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखी।
नीति और दृष्टिकोण
प्रशांत किशोर के अभियानों में डेटा-आधारित विश्लेषण, जमीनी जुड़ाव, और सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग प्रमुख हैं।
डेटा-आधारित निर्णय लेना:
अंतरराष्ट्रीय अनुभव: संयुक्त राष्ट्र में काम करने का अनुभव उनकी रणनीतियों को वैश्विक स्तर का बनाता है।
राजनीतिक चाणक्य: उनकी रणनीतियां भारतीय चुनावी प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी हैं।
प्रशांत किशोर: भारतीय राजनीति के भविष्य के योजनाकार
प्रशांत किशोर, जिन्हें भारतीय राजनीति का “चाणक्य” कहा जाता है, ने चुनावी रणनीतियों में अपनी अलग पहचान बनाई है। उनके भविष्य की योजनाओं पर आधारित चर्चाएं यह बताती हैं कि वे राजनीति में केवल रणनीतिकार नहीं बल्कि परिवर्तनकारी भूमिका निभाना चाहते हैं। उनकी महत्वाकांक्षाएं और दृष्टिकोण भारत की राजनीतिक व्यवस्था में सुधार की ओर संकेत करती हैं।
वैश्विक स्तर पर प्रभाव
प्रशांत किशोर की सफलता ने भारतीय चुनावी मॉडल को विश्व स्तर पर एक मानक बना दिया। उनकी कार्यप्रणाली को कई देशों ने अपनाया और इसे अपनी राजनीतिक संरचनाओं में शामिल किया। आज उनकी रणनीतियां चुनावी अभियानों के लिए ‘टेम्पलेट’ के रूप में देखी जाती हैं।
एक युग परिवर्तनकारी व्यक्तित्व
राजनीति में नई दिशा
प्रशांत किशोर ने हाल ही में अपनी राजनीतिक यात्रा को जमीनी स्तर पर पुनः परिभाषित किया है। उनकी “पदयात्रा” बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी गहरी पकड़ और समझ को दर्शाती है। इस अभियान का उद्देश्य जनता की मूलभूत समस्याओं को समझना और उनके लिए एक बेहतर समाधान निकालना है।
भविष्य की महत्वाकांक्षाएं
जमीनी राजनीति को बढ़ावा देना: किशोर अपने अभियानों के जरिए “व्यक्तित्व-आधारित राजनीति” से हटकर “मुद्दा-आधारित राजनीति” को प्रोत्साहन देना चाहते हैं।
लोकतांत्रिक सुधार: उनका ध्यान चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाने पर है।
राजनीतिक प्रवेश: अपने रणनीतिक अनुभव को भुनाते हुए, वे भविष्य में प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं, हालांकि उन्होंने इस पर स्पष्ट टिप्पणी से बचा है।
महत्वपूर्ण राजनीतिक अंतर्दृष्टि
2024 के चुनावों पर प्रशांत किशोर का विश्लेषण उनकी व्यापक समझ और राजनीतिक अनुभव को दर्शाता है। वे इस बात पर जोर देते हैं कि भारतीय राजनीति को “मुद्दों” पर केंद्रित होना चाहिए न कि केवल “व्यक्तित्वों” पर। यह दृष्टिकोण उन्हें पारंपरिक राजनीतिक रणनीतिकारों से अलग बनाता है