वोटवाले की दुनिया

यह सेक्शन समर्पित है उस आम वोटर को जिसकी आवाज़ अक्सर अनसुनी रह जाती है। यहाँ हम बात करते हैं ज़मीनी हकीकत की — शिक्षा, रोज़गार, पलायन, गरीबी, और बदलाव की जरूरतों पर। यह मंच है उन कहानियों का, जो वोट की ताक़त को समझते हैं और व्यवस्था में सार्थक बदलाव की उम्मीद रखते हैं।

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लालू राज से जन सुराज तक: बिहार की राजनीति का 35 साल का सफर

एक राज्य, तीन दशक, अनेक मोड…. बिहार की राजनीति का इतिहास एक लंबा और विविधतापूर्ण सफर रहा है, जो 1990 के दशक से लेकर अब तक लगातार बदलते सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को दर्शाता है। 1990 के बाद से यह राज्य कई बार राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर चुका है, जिसमें लालू प्रसाद यादव की सामाजिक […]

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बेरोजगारी बनाम चुनावी वादे: कब तक छले जाएंगे बिहार के युवा?

चुनावी वादों की जमीनी सच्चाई हर चुनाव में बिहार के नेताओं की ज़ुबान पर सबसे ज़्यादा अगर कोई मुद्दा रहता है तो वह है ‘रोज़गार’। यह हमेशा से चुनावी घोषणापत्रों में सबसे प्रमुख वादा रहा है, चाहे वह किसी भी पार्टी का हो। वादा किया जाता है कि हजारों सरकारी नौकरियां दी जाएंगी, नए उद्योग

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