बिहार की राजनीति लंबे समय से जातीय समीकरण और मुफ़्त योजनाओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है। लेकिन हाल के वर्षों में एक नया राजनीतिक विमर्श खड़ा हुआ है—“शिक्षा और रोज़गार की गारंटी”। इस विमर्श को गति दी है प्रशांत किशोर (PK) ने। उनके भाषणों और जनसभाओं में बार-बार यह बात सामने आती है कि अगर बिहार को सच में बदलना है तो मुफ़्त राशन और तात्कालिक लाभ वाली योजनाओं से आगे बढ़कर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की बुनियादी व्यवस्था को मज़बूत करना होगा।
आज का युवा इस एजेंडे से खुद को जोड़ पा रहा है। आइए समझते हैं कि क्यों PK का एजेंडा युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है—
1. मुफ्त राशन बनाम शिक्षा और रोजगार
PK लगातार कहते हैं—
“मुफ़्त राशन से पेट तो भर जाएगा, लेकिन भविष्य नहीं बनेगा। रोजगार और शिक्षा ही इंसान को आगे ले जाती है।”
युवा पीढ़ी इसे अपनी हकीकत से जोड़कर देखती है। बेरोज़गारी, पलायन और प्राइवेट स्कूलों की ऊंची फीस का बोझ युवाओं और उनके परिवारों पर सबसे ज्यादा असर डालता है। ऐसे में जब कोई नेता शिक्षा और रोजगार की ठोस बात करता है, तो स्वाभाविक है कि उसकी बात दिल को छूती है।
2. नेटारहाट मॉडल स्कूल का सपना
अपने हालिया इंटरव्यू और सभाओं में PK ने साफ कहा कि—
“हमारा सपना है कि हर ब्लॉक में एक नेटारहाट जैसा स्कूल खुले। जब तक वह स्कूल नहीं बनता, तब तक बच्चों की पढ़ाई का खर्च पार्टी उठाएगी।”
यह सीधा संदेश युवाओं और उनके अभिभावकों के बीच विश्वास पैदा करता है कि PK केवल घोषणाएँ नहीं कर रहे, बल्कि शिक्षा को लेकर वैकल्पिक व्यवस्था की योजना भी बना चुके हैं।
3. युवाओं की समस्याओं पर सीधा संवाद
PK गांव-गांव जाकर युवाओं से एक-एक करके मिलते हैं। सभाओं में भी वे सीधे सवाल पूछते हैं—
- कितने लोग बेरोजगार हैं?
- कितनों ने बाहर काम करने के लिए पलायन किया है?
- कितने बच्चों को अच्छी स्कूल की सुविधा नहीं मिल रही?
इस तरह का ग्राउंड लेवल कनेक्शन युवाओं को एहसास दिलाता है कि उनकी समस्या सुनी जा रही है। यह उन पुराने नेताओं से अलग है जो केवल भाषणों में युवाओं का ज़िक्र करते हैं।
4. पलायन का दर्द और PK की पेशकश
हर साल लाखों युवा रोज़गार की तलाश में दिल्ली, मुंबई, गुजरात और पंजाब जाते हैं। PK लगातार कहते हैं—
“बिहार का बेटा अपने घर से 1500 किलोमीटर दूर जाकर मजदूरी करे, यह शर्म की बात है। बिहार में ही रोजगार की व्यवस्था करनी होगी।”
यह दर्द सीधे उस पीढ़ी को छूता है जो खुद या अपने परिवार के किसी सदस्य के साथ इस सच्चाई को जी रही है। PK का समाधान-आधारित दृष्टिकोण (स्थानीय उद्योग, स्किल डेवलपमेंट और शिक्षा केंद्रित निवेश) युवाओं को एक नए भविष्य की संभावना दिखाता है।
5. जाति और धर्म से ऊपर उठकर एजेंडा
बिहार की राजनीति अब तक मुख्यतः जातीय समीकरणों पर टिकी रही है। लेकिन PK जातीय राजनीति की बजाय समान अवसर की बात करते हैं। उनका फोकस है—
- हर बच्चे को समान शिक्षा
- हर नौजवान को रोजगार
- हर नागरिक को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा
- युवा पीढ़ी अब जातीय राजनीति से ऊब चुकी है। वे विकास और अवसर चाहते हैं। PK का यह “गैर-परंपरागत” एजेंडा उन्हें आकर्षित कर रहा है।
6. स्पष्ट और साहसिक बयान
PK के भाषणों में एक खास बात है—वे गोलमोल नहीं बोलते। वे साफ कहते हैं—
“अगर आपको मुफ़्त राशन चाहिए तो हमारे पास मत आइए।”
“हम रोज़गार और शिक्षा की गारंटी देंगे, लेकिन वोट बैंक की राजनीति नहीं करेंगे।”
इस तरह के साहसिक बयान युवाओं को प्रभावित करते हैं। उन्हें लगता है कि PK राजनीति में नई तरह की भाषा और ईमानदारी लेकर आए हैं।
7. सोशल मीडिया और डिजिटल कनेक्शन
PK का एजेंडा केवल सभाओं तक सीमित नहीं है। वे लगातार युवाओं तक सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों से भी पहुँच रहे हैं। WhatsApp ग्रुप, YouTube इंटरव्यू और छोटे-छोटे वीडियो क्लिप्स के जरिए उनका संदेश तेज़ी से फैल रहा है।
आज के डिजिटल-सेवी युवाओं को यह तरीका बेहद पसंद आ रहा है।
8. युवाओं में नेता बनने का आत्मविश्वास
PK युवाओं को केवल सुनते ही नहीं, बल्कि उन्हें लीडरशिप की भूमिका में भी लाना चाहते हैं। उनकी पार्टी जन सुराज युवाओं को स्थानीय स्तर पर संगठन चलाने की जिम्मेदारी दे रही है। इससे युवाओं को लगता है कि वे केवल भीड़ नहीं, बल्कि बदलाव के सक्रिय सहभागी हैं।
9. शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार मानना
PK का मानना है कि—
“अगर बिहार की शिक्षा ठीक कर दी जाए तो पलायन अपने आप कम हो जाएगा और उद्योग अपने आप खड़े हो जाएंगे।”
यह विचार युवाओं को बहुत आकर्षित करता है क्योंकि वे देखते हैं कि प्राइवेट स्कूल महंगे हैं, सरकारी स्कूलों की हालत खराब है, और कॉलेजों में पढ़ाई का स्तर बहुत गिरा हुआ है। PK जब शिक्षा को ‘फाउंडेशन ऑफ डेवलपमेंट’ बताते हैं, तो युवाओं को अपने भविष्य की दिशा दिखाई देती है।
10. बदलाव का प्रतीक बनते PK
युवा पीढ़ी बदलाव चाहती है, और PK उन्हें उसी बदलाव का प्रतीक नज़र आते हैं। वे न तो पारंपरिक नेता हैं और न ही केवल आंदोलनकारी। वे रणनीतिक सोच, ग्राउंड कनेक्शन और भविष्य की स्पष्ट योजना का संगम हैं। यही वजह है कि युवाओं के बीच उनका एजेंडा तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
निष्कर्ष
बिहार का युवा अब जात-पात की राजनीति से ऊब चुका है। वह मुफ्त राशन और थोड़े बहुत लाभ से संतुष्ट नहीं होना चाहता। उसे चाहिए क्वालिटी एजुकेशन, रोजगार की गारंटी और सुरक्षित भविष्य।
प्रशांत किशोर ने युवाओं की इसी नब्ज़ को पकड़ा है।
उनका विज़न—
- हर ब्लॉक में नेटारहाट जैसा स्कूल
- रोजगार सृजन की ठोस योजना
- पलायन पर रोक
- जातीय राजनीति से ऊपर विकास की राजनीति
- युवाओं को सीधे प्रभावित कर रहा है। यही कारण है कि PK का एजेंडा आज बिहार के युवाओं के बीच लोकप्रियता की नई ऊँचाइयाँ छू रहा है।









