बिहार की राजनीति में अररिया जिले की नरपतगंज विधानसभा सीट हमेशा से ही विशेष स्थान रखती रही है। यह सीट न केवल अपने सामाजिक और जातीय समीकरणों के लिए जानी जाती है, बल्कि यहां के चुनावी इतिहास ने भी इसे राजनीतिक विश्लेषकों के लिए रोचक बना दिया है। 2025 का चुनाव भी इसी कड़ी का हिस्सा होगा, और इसमें यादव और मुस्लिम समुदाय के वोटर्स की भूमिका निर्णायक होगी।
1. नरपतगंज का चुनावी और जातीय पृष्ठभूमि
नरपतगंज विधानसभा का गठन 1962 में हुआ था और शुरुआत में यह एससी आरक्षित सीट थी। 1962 के चुनाव में डूमरलाल ने यहां जीत हासिल की। इसके बाद 1967 से यह सामान्य सीट बन गई और अब तक कुल 14 चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में देखा गया कि यादव जाति के उम्मीदवारों ने यहां प्रमुखता बनाई।
जातीय संरचना के अनुसार, नरपतगंज में मुस्लिम वोटर्स की संख्या 21.4% है, जबकि यादव समुदाय 18.9% है। एससी वोटर्स 18.65%, एसटी 1.31%, और अन्य OBC व सामान्य जातियां लगभग 43-45% का हिस्सा रखती हैं। यहां कोरी, कुर्मी, धानुक समुदाय 11-13%, राजपूत 2.5-3%, ब्राह्मण 3.5-4%, वैश्य 5.5-6% और अति पिछड़ा वर्ग अन्य पिछड़ा वर्ग मिलकर शेष बनाते हैं। इस जातीय विविधता की वजह से यह सीट हमेशा से चुनावी रणनीति के लिए चुनौतीपूर्ण रही है।
2. चुनावी इतिहास: यादव प्रतिद्वंद्वियों का संघर्ष
नरपतगंज की राजनीति में यादव उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। पिछले तीन दशकों में इस सीट पर मुख्य मुकाबले यादव प्रतिद्वंद्वियों के बीच ही देखने को मिले हैं। 2010 विधानसभा चुनाव में देवंती यादव बीजेपी से मैदान में उतरी और लगभग 41% वोट हासिल किए। उनके सामने आरजेडी के अनिल कुमार यादव थे, जिन्हें 54,169 वोट मिले। अंततः देवंती यादव ने बड़े अंतर से जीत हासिल की।
2015 में महागठबंधन के चलते आरजेडी के अनिल कुमार यादव को 90,250 वोट मिले और उन्होंने बीजेपी के जनार्दन यादव को 64,299 वोटों से हराया। यह 51.32% वोट प्रतिशत का आंकड़ा था, जो उनके जीतने की निर्णायक वजह बना।
2020 में बीजेपी ने उम्मीदवार बदलकर जयप्रकाश यादव को उतारा। जयप्रकाश यादव को 98,397 वोट मिले जबकि अनिल कुमार यादव को 69,787 वोट मिले। इस प्रकार बीजेपी ने 28,610 वोटों से जीत दर्ज की। इसी चुनाव में AIMIM भी मैदान में आया, लेकिन केवल 2.7% वोट ही हासिल कर पाया।
3. जातीय समीकरण और वोटिंग पैटर्न
नरपतगंज में जातीय समीकरण हमेशा से चुनाव परिणाम को प्रभावित करते रहे हैं। यादव वोटर्स का बड़ा हिस्सा आरजेडी की ओर झुकता है, लेकिन बीजेपी ने अन्य जातियों के वोटरशिप को गोलबंद कर सफलता हासिल की। मुस्लिम वोटर्स 21.4% होने के बावजूद इस सीट पर आरजेडी और AIMIM के बीच बंट जाते हैं।
विशेष रूप से काउंटर पोलराइजेशन की प्रवृत्ति यहां साफ देखी जा सकती है। जिस तरफ मुस्लिम वोट जाते हैं, अन्य जातियां अक्सर उसके विपरीत मतदान करती हैं। इसी रणनीति ने बीजेपी को पांच बार यहां जीत दिलाई।
4. राजनीतिक दलों का प्रदर्शन
- BJP: 2020 विधानसभा में जयप्रकाश यादव के जरिए 49.1% वोट हासिल किए। 2019 लोकसभा चुनाव में Pradeep Kumar Singh ने 63.26% वोट हासिल किए।
- RJD: 2015 विधानसभा में अनिल कुमार यादव को 51.32% वोट मिले। लेकिन 2020 में उनका वोट प्रतिशत घटकर 34.8% हो गया।
- AIMIM: पहली बार 2020 में मैदान में आया और केवल 2.7% वोट प्राप्त किए। 2025 में AIMIM का प्रदर्शन परिणामों पर निर्णायक असर डाल सकता है।
- अन्य दल: JD(U), INC, LJP का प्रभाव सीमित है, लेकिन गठबंधन रणनीति में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
5. आगामी चुनाव 2025 की संभावनाएं
इस बार चुनाव में कई अहम फैक्टर काम करेंगे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या BJP जयप्रकाश यादव को ही टिकट देती है या नए उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी। दूसरी ओर, आरजेडी की तरफ से अनिल कुमार यादव सबसे मजबूत दावेदार बने हुए हैं।
AIMIM का कदम चुनाव को त्रिकोणीय बना सकता है। यदि AIMIM महागठबंधन का हिस्सा बन जाता है, तो मुस्लिम वोटों का बंटवारा नहीं होगा और आरजेडी के लिए स्थिति बेहतर रहेगी। लेकिन अगर AIMIM अकेले चुनाव लड़ता है, तो बीजेपी को इसका फायदा मिलने की संभावना है।
जातीय समीकरण को देखें तो यादव वोटर्स दोनों मुख्य दलों में बंटे हुए हैं। बीजेपी का वोट प्रतिशत अन्य जातियों में गोलबंदी के कारण बढ़ जाता है। वहीं आरजेडी को मुख्य रूप से यादव और मुस्लिम वोटर्स पर भरोसा करना पड़ता है।
6. निष्कर्ष: कौन जीतेगा नरपतगंज?
अनिल कुमार यादव की छवि और क्षेत्र में सक्रियता आरजेडी के लिए मददगार हो सकती है, लेकिन पिछले चुनावों के रुझान और जातीय गोलबंदी को देखते हुए जयप्रकाश यादव या उनके समर्थक उम्मीदवार के जीतने की संभावना अधिक प्रबल लगती है।
इस प्रकार, नरपतगंज विधानसभा 2025 चुनाव में मुख्य लड़ाई यादव समुदाय के दो दिग्गजों जयप्रकाश यादव (BJP) और अनिल कुमार यादव (RJD) के बीच ही होगी, और AIMIM का भूमिका इसे और दिलचस्प बना सकती है।









