SHAYARI1

इल्तिजा बस इतनी है
ना इंकार करना
करना इंकार भले
पर उसका ना इजहार करना

जज्बात पिरोए हैं हमने
अपने रिश्ते में
हम मिले या न मिले
तू मुझ पर ऐतबार करना

सांसों की डोर बंधी है तुझसे
मेरी सांसों में समाये रहना
मेरे बगिया में तू
खिले या ना खिले
अपने दिल में
तू मेरा फूल खिलाए रखना

तुझे पाने की तपिश
मेरे दिल को पिघला ना सकी
चाहता रहुंगा तुझे मैं उम्र भर
दिल में अपने
मेरे प्यार की लौ जला कर रखना

प्रदीप दुबे